आमिर खान का सत्यमेव जयते..
बहुत अच्छा प्रयास..
आमिर खान बहुत सधे हुवे इन्सान हैं..
उन्हे मुद्दों को प्रभावी ढंग से समाज के सामने रखने की समझ है..
बात दिल पे लगने की नहीं..
दिमाग़ से सोचने की है.. कि आखिर लिंग निर्धारण का कुविचार समाज में क्यों ज़ोर पकड़ता जा रहा है..
क्यों ये कुप्रथा जंगल की आग की तरह समाज को जलाकर ख़ाक़ करने पर आमादा है..
लड़कियों को क्यों आज भी कथित परिपक्व समाज में माथे पर एक कलंक की तरह समझा जाता है..
जवाब सबको पता है..
कि लड़की.. यानि खर्चा..
खर्चा यानि पैसा..
उसकी पढाई लिखाई करवाओ..
पाल पोसकर बडा करो..
फ़िर ढेर सारा दहेज देकर उसको पराये घर और पराये लोगों में विदा करो और ज़िन्दगी भर उसकी ससुराल और उसके पति के आगे बिना किसी जुर्म के हमेशा मुजरिम की तरह पेश पेश रहो और उनकी तमाम ज़रूरी ग़ैरज़रूरी फ़रमाईशों को पूरा करते रहो..
क्युंकि आपने एक लड़की को जन्म दिया है ..
जब तक समाज से दहेज जैसी कुप्रथा का नाश नहीं होता ..
तब तक लिंग निर्धारण एवम कन्या भ्रूण हत्या जैसे कुक्रत्य को रोकना असम्भव है ..
- मक़बूल निसार
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